Entries of Certain Transactions | कुछ खास लेनदेन की प्रविष्टियां

माल दान में दिया

यदि दान रोकड़ में दिया जाता है तो दान में दी जाने वाली राशि दान खाते के नाम कर रोकड़ खाते में जमा की जाती है। परन्तु जब माल दान में दिया जाता है तो यह व्यापार की ब्रिकी नही है। अतः इस माल पर लाभ नही लिया जाता है। और इनका मुल्यांकन क्रय मुल्य में किया जाता है। अतः विक्रय खाता क्रेडिट नहीं करके क्रय खाते को क्रेडिट किया जायेगा।

इस प्रकार खरीदा गया माल कम हो जाता है उसकी प्रविष्टि:-

निजी प्रयोग के लिए रूपये या माल निकालना

व्यापार के स्वामी को निजी खर्चो के लिए रोकड़ अथवा माल की आवश्यकता होती है तो ये व्यापार से निकाल लेता है इस आहरण कहते है। जब व्यापारी निजी प्रयोग के लिए रोकड़ निकालता है तो आहरण खाते को नाम करेगें व रोकड़ खाते को जमा करेगें और अगर माल निकालता है तो क्रय खाते को जमा करेगें इसकी प्रविष्टि:-

माल चोरी हो जाना या अन्य प्रकार से हानि

जब किसी प्रकार से कोई व्यक्ति व्यापार से माल चुरा लेता है अथवा माल की किसी अन्य प्रकार से हानि होती है जैसे-

आग से नष्ट होना, बाढ़ से नष्ट होना आदि

इन परिस्थितियों में माल की हानि होती है अर्थात व्यापार में माल कम हो जाता है। ये ब्रिकी नहीं है अतः ऐसे व्यवहार से प्रभावित होने वाले खाते चोरी/आग/बाढ़ से हानि खाता तथा क्रय खाता है। अतः इसकी प्रविष्टि निम्न होगी।

अगर माल का बीमा करवाया गया हो और

(अ) माल आग द्वारा नष्ट होने पर-

(ब) बीमा कम्पनी द्धारा स्वीकार करने पर-

(स) बीमा कम्पनी से राशि प्राप्त होने पर-

(द) बीमा कम्पनी से कम राशि मिलने पर-

माल को मुफ्त नमूने के रूप में बांटना

 व्यापार को बढ़ाने के लिए व्यापारी अपने माल को मुफ्त नमूने के रूप में बांटता है तो इसे माल की ब्रिकी नहीं मानेंगे ये माल क्रय में से ही कम होगा। अतः क्रय खाते को जमा और मुफ्त नमूने या विज्ञापन खाते को नाम किया जायेगा। इसकी प्रविष्टि निम्न प्रकार से की जायेगी। 

ब्रिकी कर

जब व्यापारी माल खरीदता है तो ब्रिकी कर देता है और माल बेचता है तो बिक्री कर देता है तो इसकी अलग से प्रविष्टि नहीं की जाती है। बल्कि क्रय मुल्य वहीं राशि होगा जो कर को जोड़ने के पश्चात आया है। इसकी प्रविष्टि निम्न उदाहरण से स्पष्ट हो जायेगी। सद्दाम से 5000 रू का माल खरीदा जिस पर उसने 5ः बिक्री कर अतिरिक्त लगाया।

जब व्यापारी माल बेचता है तो बिक्री कर को अलग खाते में दिखाया जाता है। क्योंकि बिक्री कर की राशि सरकारी खजाने में जमा करानी होती है। अतः बिक्री कर व्यक्तिगत खाता है। इसकी प्रविष्टि निम्न उदाहरण से स्पष्ट है। 

उदाहरणः- सद्दाम को 5000 रू का माल बेचा जिस पर 5ः बिक्रि कर लगाया।

व्यापारिक बट्टा

व्यापारिक बट्टे की अलग से प्रविष्टि नहीं करते है परन्तु बिक्री की राशि में से घटाकर प्रविष्टि करते है। यह निम्न उदाहरण से स्पष्ट होगा।

 सद्दाम को 5000 रू का माल बेचा तथा 10ः व्यापारिक छुट दी। 

रोकड़ या नकद बट्टा

ये नकद बट्टे की प्रविष्टि व्यापारी अपने पुस्तकों में करेगा। जैसे- सद्दाम ने उसमें देय 4500 रू 5ः नकद छुट कर नकद भुगतान किया या सद्दाम से पूर्व भुगतान में 4275 रू प्राप्त किये या सद्दाम से प्राप्त हुए 4275 रू छुट दी 225 रू।

डूबत ऋण

ग्राहको के दिवालिया हो जाने पर जो राशि देनदारों से प्राप्त नहीं होती है। उस राशि को डूबत ऋण कहते है। ये व्यापार के लिए हानि है। ऐसी दशा में डूबत ऋण खाते के नाम करेगें। और जो राशि प्राप्त होगी उससे रोकड़ खाते को नाम करेगें और देनदार के खाते को जमा करेगें। ये निम्न उदाहरण से स्पष्ट है। उदाहरण- सद्दाम से 1000 रू बकाया थे वे दिवालिया हो गया उसे सिर्फ 6ः राशि प्राप्त हो गई।

डूबत ऋण पुनः प्राप्त होने पर

कभी-कभी ग्राहक से डूबत ऋण वापस प्राप्त हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में ग्राहक के खाते को जमा नहीं करेगें क्योंकि उसका खाता पहले से ही बन्द हो चुका है। यह व्यापार के लिए लाभ है अतः डुबत ऋण पुनः प्राप्त खाते को जमा करेगें। और रोकड़ खाते को नाम करेगें। जो निम्न उदाहरण से स्पष्ट होगा।

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